दिल्ली हिंसाः निवाला हुआ मंहगा, लोगों की बढ़ी परेशानी
सार
- आटा 50 तो प्याज बिक रहा 70 रुपये किलो
- दूर दराज से खाद्य सामग्री ला रहे लोग
विस्तार
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के भजनपुरा, करावलनगर, गोकलपुरी व खजूरी इलाके में हुई हिंसा ने लोगों के मुंह का निवाला महंगा कर दिया है। आटे से लेकर सब्जियों के दाम में 20 से 50 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। खाद्य सामग्री के मूल्य बढ़ने से स्थानीय लोगों की मुश्किलें भी बढ़ चुकी हैं। लोगों ने कहा कि महंगाई के कारण बाहरी इलाकों से राशन खरीद कर ला रहे हैं।वहां पर इनके दामों में इजाफा नहीं हुआ है।
करावलनगर इलाकेेे में आटा जहां 50 रुपये किलो तो वहीं प्याज के दाम 70 रुपये प्रति किलो पर पहुंचे हुए हैं। स्थानीय निवासी विवेक ने बताया कि हिंसा से पहले आटा 30 रुपये किलो बिक रहा था। वहीं, प्याज के दाम भी 50 रुपये किलो थे। वहीं पहले टमाटर के दाम 10 रुपये थे जबकि अब यह 30 रुपये हैं।
आलू जहां पहले 20 रुपये किलो में मिल रहा था, उसकी कीमत अब 30 रुपये किलो है। मटर की बात करें तो इसके दाम 30 से बढ़कर 60 रुपये पर पहुंच गए हैं। वहीं, गोभी भी 20 से 60 रुपये किलो पर पहुंच गई है।
करावलनगर निवासी दीपा ने बताया कि हिंसा छिड़ने के बाद कुछ लोगों ने अपने घरों में राशन का स्टॉक जमा कर लिया था। इससे यहां की दुकानों में सीमित खाद्य सामग्री बची है। इस वजह से बढ़े दामों पर राशन व दूसरा सामान खरीदना पड़ रहा है।
करावलनगर इलाकेेे में आटा जहां 50 रुपये किलो तो वहीं प्याज के दाम 70 रुपये प्रति किलो पर पहुंचे हुए हैं। स्थानीय निवासी विवेक ने बताया कि हिंसा से पहले आटा 30 रुपये किलो बिक रहा था। वहीं, प्याज के दाम भी 50 रुपये किलो थे। वहीं पहले टमाटर के दाम 10 रुपये थे जबकि अब यह 30 रुपये हैं।
आलू जहां पहले 20 रुपये किलो में मिल रहा था, उसकी कीमत अब 30 रुपये किलो है। मटर की बात करें तो इसके दाम 30 से बढ़कर 60 रुपये पर पहुंच गए हैं। वहीं, गोभी भी 20 से 60 रुपये किलो पर पहुंच गई है।
करावलनगर निवासी दीपा ने बताया कि हिंसा छिड़ने के बाद कुछ लोगों ने अपने घरों में राशन का स्टॉक जमा कर लिया था। इससे यहां की दुकानों में सीमित खाद्य सामग्री बची है। इस वजह से बढ़े दामों पर राशन व दूसरा सामान खरीदना पड़ रहा है।
चटनी व दाल के सहारे गुजारे तीन दिन
स्थानीय लोगों ने बताया कि हिंसा के भड़कने के बाद सभी दुकानें बंद हो गई थीं। ऐसे में जिनके घरों में सब्जी नहीं थी। उन्होंने तीन दिन दाल व चटनी के सहारे काटे हैं। लोगों ने कहा कि आसपास के सब्जी विक्रेताओं ने डर के कारण अपनी दुकानें नहीं खोली थीं। वहीं, गलियों में भी फेरी वालों ने आना बंद कर दिया था।